जब कभी भी हम बच्चों की बातें करते हैं तो उसमें लघु कहानियाँ (Short Stories in hindi) का जिक्र भी जरूर होता है, ऐसा इसलिए होता है क्योंकि बच्चों को सबसे ज्यादा कहानियाँ ही पसन्द आती हैं। कहानियाँ की वजह से ही बच्चों को नई प्रेरणा मिलती हैं और जीवन जीने की नई प्रेरणा मिलती है।
यह Moral Education Short Story ही बच्चों को भविष्य में एक बेहतर और जुझारू इंसान बनाने में मददगार साबित होती हैं। सभी बच्चों के लिए यह कहानियाँ बहुत ज्यादा प्रेरणादायक होती हैं अतः इनमें हमेशा कुछ न कुछ प्रेरणा अवश्य मिलती हैं। इसलिए छोटे-बड़े सभी को यह लघु कहानियाँ हमेशा से ही पसन्द आती हैं।
यह कहानियाँ भी आपको अनेकों प्रकार की मिलेगी! कहने का मतलब यह है कि लेखक बहुत से अलग-अगल तरह की कहानियाँ बच्चों के लिख लिखते हैं। जैसे कि भूतों की कहानियाँ, रानी की कहानियाँ, पक्षीयों की कहानियाँ, चाँद तारों की कहानियाँ इत्यादि।
इन सब moral stories in hindi में बच्चों के लिए कुछ न कुछ सीख हमेशा से छुपी होती है। तो अब हम बिना देरी किये बिना कहानियाँ का आनंद लेते हैं, जिसे पड़ने में आपको बहुत मजे के साथ-साथ प्रेरणा भी मिलेगी।
Life changing short moral stories in hindi
लालची शेर की कहानी (short stories in hindi of greedy lion)
एक दिन की बात है गर्मीयों के दिन थे एक शेर को बहुत भूख लगी थी इसलिए वह खाना ढुढने के लिए जंगल में इधर-उधर घुमने लगा कुछ देर बाद घुमते हुए शेर की नजर एक खरगोश पर पड़ी, किन्तु शेर ने खरगोश को खाने के बदले छोड़ दिया क्योंकि शेर को वह खरगोश बहुत ही छोटा लगा। फिर शेर थोड़ा आगे गया और उसकी नजर एक हिरन पर पड़ी वह हिरन बहुत मोटा-ताजा था।
जिसके बाद शेर ने उसका पीछा किया पर क्योंकि वह काफी देर से खाना खोज रहा था तो वह बहुत थक गया था जिसके कारण वह हिरण उसके पकड़ में नहीं आया।
जब शेर को खाने को कुछ नहीं मिला तब वह निराश होकर उसी खरगोश को खाने के विषय में सोचने लगा, और शेर जब वापस उसी स्थान पर गया तो उसे वहां पर कोई भी खरगोश नहीं मिला और अब शेर काफी दुखी हुआ और उसे पछतावा हुआ।
small moral stories of lion and mouse
बहुत समय पहले की बात है एक शेर जंगल में सो रहा था। ठीक उसी समय एक चूहा उसके शरीर में उछल कूद करने लगा। इससे शेर की नींद खराब हो रही थी, तभी शेर गुस्से के साथ उठा।
तभी शेर ने चूहे को अपने पंजों में उठा लिया और खाने की सोचने लगा। तभी चूहे से डरते हुए शेर से प्रार्थना करी कि, वह चूहे को माफ करें और जाने दे।
चूहा ये भी वादा करता है कि शेर का बुरा वक्त आने पर वह भी शेर की पूरी मदद करेगा। इसके बाद चूहे की इस साहसिकता को देखकर शेर हसा और उसने चूहे को जाने दिया।
इस घटना के बाद एक दिन कुछ शिकारी जंगल में शिकार करने आये और उन्होंने शेर को अपने जाल में फसा लिया तथा उन्होंने शेर को एक रस्सी से शेर को पेड़ के साथ बाँध दिया। तब उस समय शेर मदद के लिए दहाड़ने लगा तभी रास्ते से गुजर रहे चूहे ने उसकी आवाज सुनी तो चूहा तुरंत ही शेर की मदद करने निकल पड़ा। जैसे ही चूहा उसके पास पहुंचा तो उसने रस्सी को कुतरना शुरू कर दिया, फिर कुछ देर बाद शेर आजाद हो गया और वह दोनों जंगल की ओर जाने लगे और उन दोनों में उस दिन से गहरी दोस्ती हो गई।
लकड़हारा और सोने की कुल्हाड़ी की कहानी (a short story in hindi of the woodcutter and the golden axe)
बहुत समय पहले की बात है एक गांव में एक लकड़हारा रहता था वह अपनी आजीविका के लिए दिन भर जंगल से लकड़ी काटता था और रोज शाम को पास के एक बाजार में जाकर बेचता था।
एक दिन की बात है कि वो तालाब के पास में एक पेड़ काट रहा था, उसी समय उससे गलती हुई कि उसके कुल्हाड़ी उसके हाथ से उसी तालाब में गिर जाती है। उस नदी का बहाव और गहराई दोनों ज्यादा थी। उस लकड़हारे ने अपनी कुल्हाड़ी को बहुत खोजा पर वह कामयाब ना हुआ, अतः वह हार मानकर नदी किनारे बैठ गया और रोने लगा।
उसके रोने की आवाज सुनकर नदी की देवी उठी और उस लकड़हारे से पूछा कि क्या हुआ? क्या हुआ? तक लकड़हारे ने अपनी कहानी बताई, तब पानी की देवी को उस पर दया आ जाती है और पानी की देवी उस गरीब, मेहनती लकड़हारे की मदद व सहयोग करने की पेशकश करती है।
फिर क्या था वह नदी की देवी उसकी मदद के लिए एकदम से गायब हो गई और नदी के अंदर से एक सोने की कुल्हाड़ी लेकर प्रकट होती है और उस गरीब लकड़हारे से पुछती है कि क्या यह सोने की कुल्हाड़ी उसकी है ?
लकड़हारा इस पर उत्तर देते हुए कहता है कि नहीं! मैं तो गरीब आदमी हूँ इसलिए यह मेरे नहीं है। तब फिर एक बार फिर नदी की देवी पानी के अंदर जाती है और इस बार चांदी की कुल्हाड़ी लेकर वापस लैटती है। लेकिन वह आदमी इस बार भी कहता है यह मेरी नहीं है।
इतने के बाद उस नदी की देवी एक बार फिर पानी में गायब हो जाती है और इस बाद एक लोहे की कुल्हाड़ी लेकर वापस आती है।
तभी वो गरीब लकड़हारा खुश होकर कहता है कि यह उसकी ही कुल्हाड़ी है, जिस पर नदी की देवी उस गरीब लकड़हारे पर खुश होकर वह सोने और चांदी दोनों कुल्हाड़ीयों को उसको उपहार स्वरूप दे देती है।
हाथी और उसके दोस्तों की कहानी (Hindi story of elephant and his friends)
एक समय की बात है एक जंगल में एक हाथी रहता था एक दिन वह एक नए जंगल में रहने के लिए चला और वह दोस्त बनाने के लिए अन्य किसी हाथी को देख रहा था वह सबसे पहले एक बंदर से संपर्क किया और उसने उस बंदर से बोला नमस्ते बंदर भैया! क्या आप मेरे दोस्त बनना चाहेंगे?
बंदर ने कहा-‘‘तुम मेरी तरह झूल नहीं सकते इसलिए मैं तुम्हारा दोस्त नहीं बना पाऊंगा।’‘
इसके बाद हाथी एक खरगोश के पास जाता है और उसे पूछता है कि ‘‘खरगोश क्या तुम मेरे दोस्त बनोगे‘‘?
खरगोश ने उत्तर दिया कि ‘‘तुम मेरे दिल में फिट होने के लिए बहुत बड़े हो इसलिए मैं तुम्हारे साथ मित्रता नहीं कर सकता’’।
उसके बाद फिर 1 दिन सभी जानवर जंगल में दर-दर दौड़ रहे थे यह देखकर कि हाथी ने दौड़ एक भालू से पूछा कि इस भागदौड़ के पीछे का कारण क्या है तो भालू ने कहा जंगल का शेर शिकार पर निकला है वह खुद को बचाने के लिए भाग रहे हैं ऐसे में हाथी शेर के पास गया और कहा कि महाराज कृपया इन निर्दाेष जानवरों को चोट ना पहुंचाओ उन्हें आप अकेला छोड़ दो और जीने का मौका दो।
इस पर शेर ने हाथी का बहुत मजाक उड़ाया और हाथी को एक तरफ चले जाने को कहा तभी हाथी को गुस्सा आया और उसने शेर को उसकी सारी ताकत लगाकर धक्का दे दिया जिससे वह घायल हो गया और वहां से भाग खड़ा हुआ।
अब बाकी सभी जानवर राम-राम से बाहर आ गए और शेर की हार को लेकर मजा लेने लगे वह हाथी के पास आए और उन सब ने मिलकर हाथी से कहा हमारा दोस्त बनने के लिए तुम्हारा आकार एकदम सही है।
दो मेंढकों की कहानी (short hindi tale of two frogs)
एक समय की बात है की मेंढकों का एक झुंड जंगल में पानी की तलाश में घूम रहा था। दो बैठक गलती से एक गहरे गड्ढे में गिर गए।
उस दल के दूसरे मेंढकों ने गड्ढें में देखा और बोले कि इस गड्ढे में इन दोनों को बचाने का कोई रास्ता नहीं है और कोशिश करने का भी कोई मतलब नहीं रहा।
वे दो मेंढक हमेशा अपना हौसला बढ़ाते रहे क्योंकि दोनों गड्ढे से बाहर कूदने की कोशिश कर रहे थे वह दोनों जितने भी कोशिश करते लेकिन सफल नहीं हो पाते।
लेकिन जल्दी ही एक मेंढक ने दूसरे मेंढक पर विश्वास करना शुरू किया कि वह कभी भी इस गड्ढे से बाहर नहीं निकल पाएंगे अतः उस मेंढक की मृत्यु हो जाती है।
परंतु वही दूसरा मेंढक अपनी कोशिशें जारी रखता है और आखिर में वह एक इतनी लंबी छलांग लगाता है कि वह पूरे गड्ढे को लांग कर बाहर निकल जाता है।
इन दोनों में अंतर यह था कि जो दूसरा मेंढक था वह बहरा था उसने पहले मेंढक वह अन्य पूरे समूह के हतोत्साह नहीं सुना इसीलिए वह हमेशा यह सोचता रहा कि वह बाहर निकल सकता है यही उसके बचने का कारण है।
मूर्ख गधे की कहानी (story of silly donkey for kids)
एक गांव में एक नमक व्यापारी रहता था उसके पास एक गधा था रोजाना वह उस गधे में नमक की थैली लादकर बाजार ले जाया करता था।
बाजार जाते वक्त व्यापारी और उसके गधे को एक नदी पार करनी पड़ती थी एक दिन अचानक गधा नदी में गिर गया और नमक नदी के पानी में गिर गया जिससे गधे पर लगा नमक का वजन कम हो गया।
इस घटना से गधा बेहद खुश था गधा रोज नदी में आता और गिर जाता जिससे उसका वजन हल्का हो जाता। जिससे व्यापारी को बहुत नुकसान हो गया।
नमक व्यापारी को गधे की चाल समझ आ गई और उसने गधे को सबक सिखाने का फैसला ले लिया अगले दिन जब वह नमक बेचने शहर जा रहे थे तो व्यापारी ने उस दिन गधे की पीठ पर नमक के थैले के बदले में रुई का थैला बांध दिया।
अब गधे ने फिर से वही चाल चली और नदी में गिर गया नदी में गिरने से रूई ने पानी सोख लिया और भारी हो गया और गधे को नुकसान उठाना पड़ा। उससे गधे को एक सीख मिली और उसने चालाकी करना बंद कर दिया जिससे नमक व्यापारी भी खुशी-खुशी नमक बेचने लगा।
प्यासे कौवे की कहानी (hindi short story of thirsty crow)
एक बार की बात है आकाश में एक कौवा पानी की खोज में इधर उधर भटक रहा था। लेकिन बहुत ज्यादा ढूंढने के बाद भी उस कव्वे को पानी कहीं नहीं मिला पानी की तलाश में कौवा उड़ता ही जा रहा था।
अचानक से प्यास के मारे कौवे की नजर नीचे रखें एक घड़े पर पड़ी कौवा आसमान से नीचे उतरा और उसने घड़े में जैसे ही झांक कर देखा तो उसने पाया की पानी उसकी चोंच तक नहीं पहुंच पा रहा है।
तब कवर ने योजना बनाई कि पानी को कैसे पिया जा सकता है कवि ने सोचा की पानी तो पीना है नहीं तो वह मर जाएगा फिर कव्वे के दिमाग में योजना आई की वह आस-पास रखें कंकड़ पत्थर को घड़े में डालें जिससे घड़े का जल स्तर ऊपर उठ जाएगा और वह प्यासा कौवा पानी को पी पाएगा।
इस योजना पर काम करते हुए कौवे की मेहनत रंग लाई और उसने देखा कि पानी का स्तर काफी ऊपर हो गया है अब उसकी चोंच पानी तक पहुंच पा रही है तब कौवे ने पानी पिया और कौवे ने पानी पीकर अपनी सूखे गले को भिगाया।
भेडिये और सारस की कहानी (story of wolf and stork)
एक समय की बात है जंगल में एक बहुत ही भूखा प्यासा भेड़िया भटक रहा था काफी देर भूख प्यास में भटकने के बाद भेड़िए को शिकार के लिए एक पक्षी दिखा। और भेड़िया उस पक्षी को मारकर खा गया जब भेड़िया जान पक्षी को खा रहा था तो भेड़िए के गले में पक्षी की एक हड्डी फंस गई।
अत्याधिक प्रयास करने के उपरांत भी भेड़िए के कंठ से हड्डी निकलने का नाम नहीं ले रही थी। भेड़िया गले में चुभती उस हड्डी से परेशान होकर इधर-उधर भटकने लगा कि कोई मेरे गले की हड्डी निकालने में मदद कर दे इस पर कोई भी जानवर घड़ी की मदद करने के लिए राजी नहीं था।
काफी देर तक जब भेड़िया जंगल में भटका तो भेड़ियों को एक सहारा मिला उसना में सारी समस्या उस सारस को बताइए उसके बाद उस सारस ने कहा कि भेड़िया भाई मैं तुम्हारी मदद करूं तो तुम मुझे क्या दोगे जिस पर भेड़िए ने उत्तर देते हुए कहा अगर तुम मेरी हड्डी निकालने में मदद करते हो तो मैं तुम्हें एक बेशकीमती इनाम दूंगा। इस पर लालची सारस को लालच आता है और वह तन मन धन से भेड़िए के गले से हड्डी निकालने में लग जाता है।
अब सारा अपनी बहुत लंबी चोंच को भी लेकर मुंह में डालकर गले में फंसी हुई हड्डी को बाहर निकालने की कोशिश करता है जिस पर वह कामयाब हुआ जैसे ही सारस में गले में फसी हड्डी को बाहर निकाला वैसे ही भेड़िया बहुत खुश हुआ और वह उछल कूद कर के नाचने लगा जिस पर सारस ने भेड़िए को बोला की अब मुझे क्या नाम दोगे? इस पर भेड़िया कोई उत्तर नहीं देता है सारस को भी समझ आ जाता है कि भेड़िया ने उसको झूठ बोला और भेड़िया वहां से जाने लगता है।
उतने में ही बढ़िया बोलता है कि सारस तुमने मेरे मुंह में अपनी गर्दन डाली उसके बावजूद भी तुम सही सलामत बजे यही तुम्हारा इनाम है यह सुनकर सारस बहुत दुखी होता है।
लालची कुत्ते की कहानी (Shorts greedy dog story)
एक समय की बात है किसी गांव में एक कुत्ता रहता था 1 दिन उस कुत्ते को बहुत भूख लगी थी उसे खाने को कुछ नहीं मिल पा रहा था बहुत ज्यादा खोजने के बाद उसको एक रोटी दिखाई पड़ती है उस रोटी को वह कुत्ता अपने मुंह में लेकर पास में एक पुल से होकर गुजर रहा था।किंतु अचानक से ही उस कुत्ते को पुल के नीचे मौजूद पानी में अपनी परछाई देखने को मिलती है और वह सोचने लगता है कि कोई और मेरे से बेहतर भोजन लेकर खड़ा है।
इसीलिए जब उस खाने को रुकवाने के लिए जैसी ही हुआ कुत्ता खोलता है उस कुत्ते के मुंह से वह रोटी निकलकर नीचे पानी में गिर जाता है और वह काफी परेशान हो जाता है और वापस अपने गांव की ओर चल पड़ता है।
मेहनत के फल की कहानी (hindi story of hard work)
काफी समय पहले की बात है किसी गांव में 2 मित्र रहते थे एक का नाम किशन और दूसरे का नाम मोहन था वह दोनों ही बचपन से बेरोजगार थे उन दोनों ने अपनी बेरोजगारी से निजात पाने के लिए एक योजना बनाई की वह दोनों अपने गुरु जी से मदद लेने जाएंगे।
उसके बाद कुछ समय बाद वह दोनों अपने गुरु जी के पास जाते हैं किशन और मोहन गुरुजी से कुछ काम करने के लिए 1000 और 1000 रुपए मांगते हैं जिसे गुरु जी उनको दे देते हैं इसमें इसमें शर्त यह है की किशन और मोहन को यह हजार हजार रुपया 1 साल में लौटाने होते हैं।
इसमें बहुत दोनों वहां से निकल जाते हैं रास्ते में किशन भगवान से बोलता है कि तो पैसों का क्या करोगे तब मोहन बोलता है कि परसों का कुछ ऐसा करना है जिससे हमें इसे डबल हो सके जो पैसे गुरु जी ने उनको दिए थे।
उसके बाद मोहन ने किस हमसे पूछा कि किशन तुम इन बस और क्या करोगे तो कुशल बोलता है मैं घूमने फिरने जाऊंगा उसका दोनों दोस्त निकल जाते हैं 1 साल बाद तो वह गुरुजी के पास दोबारा से लौट के आते हैं और गुरु जी बोल और किस से पूछते हैं पैसे कहां है?
तब मोहन मुस्कुराते हुए कहता है नहीं गुरु जी जोली जी आपके हजार रुपए और इसके अतिरिक्त हजार रुपए और गुरुजी बोलते हैं कि मोहन तुम इतने पैसे कहां से लेकर आए तो मोहन बोलता है कि गुरु जी मैंने जब किसान को देखा मैंने उसके फल खरीद के बाजार में बेचने चला गया।
मोहन इसी प्रकार रोज फल बेचता गया और उसके पैसे डबल होते गए और वह एक बड़ा व्यापारी बन गया। मोहन बोलता है कि गुरु जी यह ₹2000 अतिरिक्त ले लीजिए और किसी अन्य जरूरतमंद इंसान की मदद कीजिए।
ताकि वह अपनी जिंदगी में कुछ कर सके जिसके बाद गुरु जी बोलते हैं किस किशन तुमने भी यदि मेहनत की होती तो तुम भी आज मोहन की तरह एक अच्छे कारों का अच्छा कारोबार कर पाते तब मोहन बोलता है कि अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा अभी भी आपके पास समय है और अपने समय का सदुपयोग करो।
हाथी और दर्जी की कहानी (story of the elephant and the tailor)
बहुत समय पहले की बात है एक गांव में एक दर्जी रहता था और उसके पास ही जंगल में एक बूढ़ा हाथी रहता था हाथी बहुत ही दयालु किस्म का था वह हाथी किसी को भी नुकसान नहीं पहुंचाता था एक दिन वह आती गांव में खाने के लिए आया तो उस दिन दर्जी का दिमाग खराब था उसने हाथी की सूंड पर सुई चुभा दी।
सुई काफी नुकिली होने के कारण हाथी को काफी ज्यादा दर्द और नुकसान झेलना पड़ा हाथी बहुत परेशान हो जाता है दर्जी को सबक सिखाने के लिए हाथी अपने दिमाग में कुछ सोचने लगता है।
तभी हाथी को एक युक्ति सोचता है और हाथी एक गंदे तालाब के किनारे जाता है और अपनी सूड़ में बहुत सारा गंदा पानी भर के लाता है और वह अपनी सूड़ में भरा सारा पानी दर्जी की दुकान पर साफ-सुथरे कपड़े और दर्जी के ऊपर फेंक देता है और उसकी दुकान गंदी हो जाती है और दर्जी कि सारे कपड़े खराब हो जाते हैं।
जिससे दर्जी बहुत दुखी होता है और वह समझ जाता है उसके बाद दर्जी और हाथी से माफी मांगता है और हाथी को अकेला खिलाता है हाथी वापस फिर दोबारा से जंगल की ओर चल पड़ता है।