देहरादून। राज्य महिला आयोग के मुताबिक, पिछले कुछ सालों में लिव इन रिलेशनशिप के चलते महिलाओं के साथ उत्पीड़न की शिकायतें हैरतंगेज तरीके से बढ़ी हैं।
उत्तराखंड की वादियों में बिन फेरे हम तेरे का चलन, यानी लिव इन रिलेशनशिप जितनी तेजी से बढ़ रहा है, उतनी ही तेजी से महिला उत्पीड़न के मामले भी बढ़ रहे हैं। राज्य महिला आयोग के आंकड़े इस बात की तस्दीक कर रहे हैं।
आयोग के पास पिछले तीन महीनों में महिलाओं के उत्पीड़न से संबंधित करीब 650 शिकायतें पहुंची हैं, जिनमें से 300 से अधिक की जड़ में लिव इन रिलेशनशिप का विवाद है।
उत्पीड़न के अधिकतर मामले उत्तराखंड के शहरी क्षेत्र देहरादून, हरिद्वार और ऊधम सिंह नगर से हैं। राज्य महिला आयोग के मुताबिक, पिछले कुछ सालों में लिव इन रिलेशनशिप के चलते महिलाओं के साथ उत्पीड़न की शिकायतें हैरतंगेज तरीके से बढ़ी हैं।
आयोग को अप्रैल से जून माह के बीच जो शिकायतें मिलीं, उनमें महिलाओं और किशोरियों का शारीरिक व मानसिक उत्पीड़न, जानमाल की सुरक्षा (धमकी), अवैध संबंध, दुष्कर्म और छेड़खानी की शिकायतें सबसे ज्यादा हैं। अधिकतर मामलों में आरोपी परिचित हैं या फिर लिव इन पार्टनर रह चुका है।
लिव इन रिलेशनशिप के बढ़ते विवादों के पीछे सोशल मीडिया की बड़ी भूमिका सामने आ रही है। युवतियों की काउंसलिंग से पता चला कि कैसे वह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए अंजान युवक के संपर्क में आईं और घर वालों से छिपाकर रिश्ते बना लिए।
जिन्हें अपना संसार समझ लिया, वह बाद में शादीशुदा निकला या उसकी मंशा गलत थी। आपसी वैचारिक मतभेद की शिकायतें भी सामने आई हैं। ऐसे में अभिभावकों की जिम्मेदारी बढ़ जाती है, उन्हें अपने बच्चों के प्रति सजग रहने जरूरत है। – कुसुम कंडवाल, अध्यक्ष, राज्य महिला आयोग
आयोग को UCC नियमावली से बड़ी उम्मीदें
आयोग को प्रदेश में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के नियमावली लागू होने का इंतजार है। यूसीसी की नियमावली बनाने की प्रक्रिया में राज्य महिला आयोग के सुझाव भी अहम रहे हैं। लिव इन रिलेशनशिप में युवतियों के शोषण और विवादों की बाढ़ को देखते हुए लिव इन रिलेशनशिप को नियम-कानून के दायरे में लाया गया है।
अक्तूबर में यूसीसी लागू होने के बाद लिव इन रिलेशन में रहने या उससे बाहर निकलने के लिए सरकारी वेबसाइट पर सूचना देना अनिवार्य होगा, अन्यथा दंड का प्रावधान है।
18 से 21 साल की उम्र के बीच लिव इन रिलेशन में जाने वालों पर रोक भले नहीं होगी, लेकिन उनके पंजीकरण पर अभिभावकों को सरकार सूचना देगी। साथ ही ऐसे कई प्रावधान हैं, जिससे युवतियों का शोषण रोका जा सके और उनके अधिकारों की रक्षा की जा सके।