नैनीताल, 23 जून: उत्तराखंड में प्रस्तावित त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों पर नैनीताल हाईकोर्ट ने बड़ी कार्रवाई करते हुए अस्थायी रोक लगा दी है। हाईकोर्ट की खण्डपीठ, जिसमें मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक महरा शामिल हैं, ने राज्य सरकार द्वारा 9 जून को जारी की गई नई आरक्षण नियमावली को नियमों के विपरीत मानते हुए चुनावी प्रक्रिया पर असंतोष जताया।
यह फैसला ऐसे समय में आया है जब राज्य निर्वाचन आयोग ने शनिवार को चुनाव की अधिसूचना जारी कर दी थी और सोमवार से जिला स्तर पर तैयारियों की शुरुआत होने जा रही थी। कोर्ट ने स्पष्ट टिप्पणी की कि सरकार ने कोर्ट में स्थिति स्पष्ट करने से पहले ही अधिसूचना जारी कर न्यायिक प्रक्रिया की अवहेलना की है।
मामले में बागेश्वर निवासी गणेश दत्त कांडपाल सहित अन्य याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि सरकार ने बिना किसी ठोस आधार के पहले से निर्धारित आरक्षण रोटेशन को 11 जून को शून्य घोषित कर नया रोटेशन लागू कर दिया, जिससे कई पंचायत सीटें लगातार चौथी बार भी आरक्षित हो गईं। यह सर्वोच्च न्यायालय द्वारा तय किए गए दिशा-निर्देशों के विरुद्ध है।
सरकार ने अपने पक्ष में दलील दी कि आरक्षण प्रक्रिया नियमों के अनुरूप है और आयोग को समय पर सूचित किया गया था। लेकिन कोर्ट ने माना कि मामला विचाराधीन रहते हुए अधिसूचना जारी करना एक गंभीर प्रक्रिया दोष है।
अब पूरे पंचायत चुनाव की प्रक्रिया स्थगित कर दी गई है। राज्य सरकार को हाईकोर्ट में यह स्पष्ट करना होगा कि उसने किस आधार पर आरक्षण रोटेशन में बदलाव किया। इस बीच, ग्रामीण क्षेत्रों में चुनाव को लेकर चल रही तैयारियों को तत्काल प्रभाव से रोक दिया गया है, जिससे स्थानीय प्रशासन में असमंजस की स्थिति बन गई है।