जनजातीय परिवारों की आय बढ़ाने की पहल, पंतनगर विश्वविद्यालय ने सिखाई मशरूम खेती

  • जनजातीय परिवारों की आय बढ़ाने के लिए पंतनगर विश्वविद्यालय ने मशरूम खेती का प्रशिक्षण दिया

पंतनगर विश्वविद्यालय और केवीके ढकरानी ने जनजातीय समुदाय की आय बढ़ाने के लिए मशरूम खेती पर एक दिन का प्रशिक्षण कार्यक्रम रखा। यह कार्यक्रम आईसीएआर की टी.एस.पी. योजना के तहत 23 नवंबर 2025 को विकासनगर ब्लॉक के हरिपुर गाँव में हुआ।

इस प्रशिक्षण का मकसद यह था कि गाँव के लोग मशरूम की खेती करना सीखकर अपनी कमाई बढ़ा सकें। कार्यक्रम की शुरुआत डॉ. श्वेता चौधरी ने की। उन्होंने बताया कि मशरूम उत्पादन अब सिर्फ खेती नहीं, बल्कि एक अच्छा बिज़नेस बन चुका है। उन्होंने किसानों को मार्केटिंग, पैकेजिंग और सरकारी योजनाओं के बारे में भी समझाया।

मशरूम विशेषज्ञ सुभम बडोला ने किसानों को ऑयस्टर और बटन मशरूम उगाने की पूरी प्रक्रिया सरल तरीके से सिखाई—बीज चुनने से लेकर कंपोस्ट, बैग तैयार करने, तापमान बनाए रखने, बीमारी रोकने और कटाई तक। उन्होंने यह भी बताया कि मशरूम से अचार, सूप, पाउडर और नगेट्स जैसे कई उत्पाद बनाकर अतिरिक्त आय कमाई जा सकती है।

प्रशिक्षण के बाद किसानों को रेडीमेड मशरूम बैग, स्प्रे बोतलें और जरूरी रसायन दिए गए ताकि वे तुरंत खेती शुरू कर सकें। इससे किसानों में काफी उत्साह देखा गया।

कार्यक्रम में केवीके प्रभारी डॉ. ए.के. शर्मा और गाँव की पूर्व प्रधान रेखा ने भी सक्रिय भूमिका निभाई। अंत में किसानों ने कहा कि यह प्रशिक्षण उनके लिए बहुत उपयोगी रहा और अब वे अपने गाँव में मशरूम उत्पादन बढ़ाने की कोशिश करेंगे। आयोजकों के अनुसार, ऐसे प्रशिक्षण से जनजातीय परिवारों को स्थायी आय के नए रास्ते मिलते हैं।

Jago Pahad Desk

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