उत्तराखंड में 6 फरवरी को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी विधानसभा में Uniform civil code बिल (समान नागरिक संहिता से जुड़ा बिल) पेश किया. इस बिल को लेकर कई लोगों के मन में सवाल उठ रहा है कि आखिर ये बिल है क्या? इस Uniform civil code बिल के कानून बनने के बाद उत्तराखंड में क्या बदलाव देखने को मिलेंगे? ऐसे कई लोगों का सवाल है, तो आज हम जानेंगे कि यह बिल क्या है और इसके लागू होने के बाद राज्य में क्या बदलाव होंगे और क्या नहीं. तो आइए विस्तार से जानते हैं.
क्या है यूसीसी Uniform civil code
यूसीसी यानी Uniform civil code या समान नागरिक संहिता यानी राज्य में सभी धर्मों और समुदायों के लिए एक समान कानून बनाने की वकालत की गई है. सरल भाषा में इस कानून का मतलब है कि देश में सभी धर्मों और समुदायों के लिए एक ही कानून होगा. इस कानून के बनने के बाद उत्तराखंड में हर धर्म में शादी और तलाक के लिए एक जैसे नियम होंगे. जो कानून हिंदुओं पर लागू होंगे वही अन्य धर्मों के लोगों पर भी लागू होंगे. अब सवाल है कि इस कानून के आने के बाद प्रदेश में मेजर बदलाव क्या देखने को मिल सकता है? तो हम सबसे पहले बदलाव के बारे में जान लेते हैं.
उत्तराखंड में Uniform civil code में शामिल
- सभी धर्मों में लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 18 वर्ष होगी
- पुरुषों और महिलाओं के बीच तलाक का नियम एक समान होगा
- लड़कियों को संपत्ति में समान का अधिकार होगा
- विवाह का पंजीकरण जरूरी है, बिना पंजीकरण के कोई सुविधा नहीं मिलेगी
- किसी महिला के लिए पुनर्विवाह की कोई शर्त नहीं होगा
- लिव-इन रिलेशन में जन्मे बच्चों को संपत्ति में समान अधिकार होगा
- लिव-इन रजिस्ट्रेशन न कराने पर 6 माह की सजा होगी
- लिव-इन रिलेशनशिप को डिक्लेयर करना होगा
यूसीसी Uniform civil code से क्या बदलेगा और क्या नहीं बदलेगा
इसके साथ ही हर धर्म में शादी और तलाक के लिए एक ही कानून होगा, जो कानून हिंदुओं पर लागू होगा वही दूसरों के लिए भी होगा. बिना तलाक के एक से ज्यादा शादी नहीं कर सकेंगे. इसमें सबसे बड़ी बात है कि मुसलमानों को चार शादियां करने की इजाजत नहीं होगी. अब आइए जानते हैं कि इस कानून के आने के बाद क्या नहीं बदलेगा. किसी भी धार्मिक मान्यता पर कोई प्रतिबंध या मतभेद नहीं होगा. धार्मिक अनुष्ठानों से कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है. पहले की तरह ही शादी या निकाह पंडितों और मौलवियों द्वारा कराया जाएगा. खान-पान, पूजा-पाठ, पहनावे आदि पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.