Uniform civil code (समान नागरिक संहिता) लागू करने वाला उत्तराखंड बन सकता है देश का पहला राज्य

छह फरवरी को सरकार विधानसभा सत्र में पेश कर सकती है विधेयक, लिव इन रिलेशनशिप को लेकर सख्त होगा कानून

देहरादून। उत्तराखंड जल्द ही देश का ऐसा पहला राज्य बन जाएगा, जो अपने यहां Uniform civil code समान नागरिक संहिता लागू करेगा। विधानसभा के पांच फरवरी से प्रारंभ होने वाले विस्तारित सत्र में छह फरवरी को सरकार की ओर से Uniform civil code समान नागरिक संहिता से संबंधित विधेयक पेश किया जा सकता है। वैसे भी विस का यह विस्तारित सत्र समान नागरिक संहिता और उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारियों व उनके आश्रितों को सरकारी सेवा में क्षैतिज आरक्षण पर केंद्रित है।

विशेषज्ञ समिति द्वारा Uniform civil code समान नागरिक संहिता का प्रारूप सरकार को सौंपने की तिथि तय होने के बाद सभी की नजर इस पर टिकी है कि विधानसभा सत्र में सरकार इसे कब पेश करेगी। सरकार यह प्रयास कर रही है कि समान नागरिक संहिता से संबंधित विधेयक को छह फरवरी को सदन में पेश किया जाए।

Uniform civil code

सत्र के पहले दिन राज्य आंदोलनकारियों के लिए क्षैतिज आरक्षण से संबंधित विधेयक को सदन में रखा जा सकता है। इसके अलावा खिलाडिय़ों के लिए चार प्रतिशत आरक्षण, पंचायती राज अधिनियम में संशोधन समेत कुछ अन्य विधेयक भी सदन में पेश किए जा सकते हैं।
संसदीय कार्यमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि सरकार प्रयास करेगी कि छह फरवरी को समान नागरिक संहिता से संबंधित विधेयक सदन में पेश किया जाए। यद्यपि, यह सब विधानसभा की कार्यमंत्रणा समिति तय करेगी कि कब कौन सा विधेयक लाया जाए।

विशेषज्ञ समिति ने Uniform civil code समान नागरिक संहिता के प्रारूप में किन-किन बिंदुओं को शामिल किया है, इसे लेकर आने वाले दिनों में तस्वीर साफ होगी, लेकिन छन-छनकर आ रही बातों पर गौर करें तो इसमें तमाम कानूनों को सख्त करने पर जोर दिया गया है। बताया जा रहा कि प्रारूप में 400 से ज्यादा धाराओं का उल्लेख है। लिव इन रिलेशनशिप के लिए पंजीकरण अनिवार्य करने के साथ ही 18 से 21 वर्ष के युवाओं के लिए माता-पिता की अनुमति अनिवार्य की जा सकती है।

इसके अलावा सभी धर्मों के अनुयायियों को समान अधिकार, बहु विवाह पर रोक, तलाक, संपत्ति में महिलाओं का अधिकार, उत्तराधिकार, विरासत, गोद लेना, स्थानीय व जनजातीय परंपराओं तथा रीति रिवाजों का अनुपालन व निजी स्वतंत्रता संबंधी बिंदुओं को प्रारूप में शामिल करते हुए कानून को सख्त करने पर जोर दिया गया है।


Jago Pahad Desk

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