● शिव मंदिरों में श्रद्धालुओं का तांता औऱ अन्य मंदिरों में भी श्रद्धालुओं की उमड़ी भारी भीड़
चम्पावत ( Champawat ) – शिवरात्रि के अवसर पर मानेश्वर समेत हरेश्वर , मलाडेश्वर डिप्टेश्वर , कांतेश्वर , सप्तेश्वर रिशेश्वर , पंचेश्वर, रामेश्वर आदि मंदिर मंदिरों में सुबह से ही ओम नमः शिवाय – ओम नमः शिवाय की गूंज शुरू हो गई थी । लोहाघाट के प्रसिद्ध रिशेस्वर महादेव मंदिर में सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगने लगा था । दिन निकलने के साथ यहां पूरा मंदिर परिसर श्रद्धालुओं से खचाखच भर गया तथा भगवान शिव के दर्शनों के लिए उन्हें भारी इंतजार करना पड़ा । लोगों ने शिव शक्ति में दूध व जल आदि का अभिषेक कर भगवान शंकर का आशीर्वाद प्राप्त किया । यहां मंदिर के पीठाधीश्वर स्वामी मोहनानंद ने सुबह से ही श्रद्धालुओं के लिए फल व खीर का भंडारा लगाया हुआ था , जिसमें भारी संख्या में लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया । दोपहर को हथरंगिया के सर्वदेव मंदिर से शिव बारात की झांकी निकाली गई । क्षेत्रीय विधायक खुशाल सिंह अधिकारी एवं एसडीएम रिंकू बिष्ट ने शिव बारात को रिशेश्वर महादेव मंदिर के लिए रवाना किया । यहां से शिव बारात नगर के प्रमुख मार्गो एवं बाजारों से होते हुए रिशेश्वर मंदिर पहुंची , जिसमें सैकड़ों श्रद्धालु शामिल थे । शिव बारात के यहां पहुंचते ही मंदिर प्रांगण खचाखच भर गया । यहां शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस का तगड़ा बंदोबस्त किया गया था ।
■ कुमाऊं मंडल के लोहाघाट में स्थित प्रसिद्ध हरेश्वर महादेव मंदिर एक ऐसा स्थान है जो धार्मिक और न्यायायिक दृष्टिकोण से काफी चर्चित औऱ महत्वपूर्ण है ।
समूचे कुमाऊंवासी हरेश्वर महादेव को उच्च न्यायालय के रूप में मानते हैं । लोहाघाट से लगभग 20 किलोमीटर दूर दिगालीचौड़ से ढाई किलोमीटर पैदल दूरी तय कर हरेश्वर महादेव मंदिर पहुंचा जाता है ।
यहां हरेश्वर महादेव का शिवलिंग और बेताल बाबा का मंदिर इस क्षेत्र की आध्यात्मिक और न्यायिक परंपरा को दर्शाता है ।
यहाँ आने पर ढाई किलोमीटर पैदल यात्रा एक आध्यात्मिक अनुभव का साक्षात्कार करने का सुनहरा मौका प्रदान करती है । मुख्य मंदिर से तीन किलोमीटर दूरी पर वृद्ध हरेश्वर गुफा में शिवलिंग की पूजा होती है जो एक शांतिपूर्ण और मनोरम स्थान है ।
इस ध्यानगुफा में भक्त ध्यानमग्नता और निर्मलता महसूस करता है । यह गुफा प्राकृतिक सौंदर्यता सुखद अहसास भी कराती है ।
हरेश्वर महादेव के साथी देवता बेताल भी शिव रूप में पूजे जाते हैं और इस स्थान के लोग उन्हें न्यायकारी देवता मानते हैं । अन्याय का शिकार होने पर भक्त बेताल बाबा के सामने अपनी अर्जी सुनाते हैं और न्याय की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं ।
महाशिवरात्रि और अन्य धार्मिक अवसरों पर हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ यहां पहुंचती है , जिससे यह स्थान समूचे काली कुमाऊँ की आस्था का केन्द्र बना है ।
लोहाघाट के हरेश्वर महादेव मंदिर ने न केवल भक्तों को आध्यात्मिक ऊँचाइयों तक पहुंचाया है बल्कि यह न्याय और सत्य की राह में अपना योगदान देने वाला एक अद्वितीय धर्म स्थल है ।
इन शिव मंदिरों में भी रही श्रद्धालुओं की भीड़ रही –
● पाटी विकासखंड के बालेश्वर मंदिर गोलनासेरी ( पटनगांव )
● पाटी विकासखंड के शिव मंदिर रौलमेल
● पाटी विकासखंड के सदाशिव मंदिर सुनटुकरा ( सकदेना )
● सिद्ध नरसिंह मंदिर खेतीखान
● पाटी विकासखंड के लधूनधुरा
महाशिवरात्रि के अवसर पर इन मंदिरों में भी पहुंचे श्रद्धालु –
● माँ बगलामुखी मंदिर , आदियोगी तपोवन रौलमेल
● श्री फटकशिला मंदिर धूनाघाट
● माँ वाराही मंदिर देवीधुरा
● श्री जैचंम निर्मांसी मंदिर कूंण