ABOUT CHRISTMAS DAY
क्रिसमस डे को लेकर इतिहासकारों में हमेशा मतभेद रहा है। इतिहासकारों के अनुसार क्रिसमस यीशु के जन्म के बाद से मनाया जाता है, लेकिन कईयों के अनुसार जन्म से पहले से मनाया जाता है। जिसको लेकर आज आधुनिक समाज में भी एक मतभेद दिखता है।
किन्तु कुछ प्राचीन इतिहासकारों का मानना है कि क्रिसमस रोमन त्यौहार सैंचुनेलिया के ही एक नया रूप है जिसे आज के लोग क्रिसमस के रूप में धूमधाम से मनाते हैं। गौरतलब है कि सैंचुनेलिया शब्द को रोमन भाषा में देवता कहा जाता है। जब ईसाई धर्म की स्थापना हुई तब उसके बाद से ही यीशु को ईश्वर मान के सैंचुनेलिया को ही क्रिसमस डे के रूप में मनाने लगे।
क्यों मनाया जाता है CHRISTMAS DAY
प्रत्येक वर्ष नया साल शुरू होने से पाँच दिन पहले पूरे ईसाई समुदाय में को धूमधाम से मनाया जाता है, क्रिसमस डे को ईसाई धर्म के साथ साथ पूरे विश्व भर में अन्य धर्म के लोग भी धूम धाम से मनाते हैं या क्रिसमस डे को समाजिक समर्थन देते हैं। ईसाई धर्म की मान्यता के अनुसार इस दिन यीशु यानी प्रभु ईसा मसीह का जन्म हुआ था, इसलिए गिरजाघरों में इस दिन यीशु की प्रर्थना, धर्मगाथा और झांकियों प्रस्तूत की जाती हैं।
25 दिसंबर को ही क्यों मनाया जाता है CHRISTMAS DAY
जानकारी अनुसार सन् 98 ई0 से ही लोग क्रिसमस डे को मनाते आ रहे हैं। किन्तु सन् 137 ई0 में रोमन बिशप ने आधिकारिक रूप से क्रिसमस डे को मनाने की घोषणा की थी। हालांकि तब से क्रिसमस डे को मनाने का कोई भी नियत दिन या तारीख तय नहीं हो पाई थी लेकिन लगभग दो सौ साल बाद सन् 350 ई0 में रोमन पादरी युलियस ने 25 दिसम्बर को क्रिसमस डे के रूप में मनाने की घोषणा की थी और तब से आज यह तक यह त्यौहार को 25 दिसम्बर को ही मनाया जाता है।
एक और अन्य मान्यता भी इस पर यह चलती है कि पादरी या धर्माधिकारी समाज 25 दिसंबर को क्रिसमस डे का त्यौहार मनाने को तैयार नहीं थे। क्योंकि इस दिन को रोमन जाति के लोग एक पर्व के तौर पर मनाते थे। क्योंकि रोमन मान्यता में माना जाता है कि इसी दिन यानि 25 दिसम्बर को ही सुर्य देव का जन्म हुआ था। लेकिन जब ईशु मसीह का जन्म हुआ तो ऐसा माना गया कि वह ही सूर्य देवता के अवतार हैं और फिर इस प्रकार से तब से वर्तमान तक इस दिन यीशु की पूजा होने लगीए जो ईसाई जगत में आज भी प्रचलन में है और विश्वभर के करोड़ो ईसाई धर्म को मानने वालों की आस्था का केन्द्र है।
क्या है CHRISTMAS TREE
क्रिसमस ट्री एक सजाया हुआ पेड़ है, आमतौर पर एक सदाबहार शंकुधारी पेड़, जैसे कि स्प्रूस, पाइन या देवदारया समान दिखने वाला एक कृत्रिम पेड़ जो क्रिसमस के उत्सव से जुड़ा होता है ।
यह प्रथा मध्य यूरोप और बाल्टिक राज्यों, विशेष रूप से एस्टोनिया व जर्मनी और लिवोनिया अब लातविया में विकसित हुई थी जहां प्रोटेस्टेंट ईसाई अपने घरों में सजाए गए पेड़ लाते थे। पेड़ को पारंपरिक रूप से ष्रंगीन कागज से बने गुलाब सेब, वेफर्स, टिनसेल, ख्और, मिठाइयों से सजाया गया था। मोरावियन ईसाइयों ने क्रिसमस पेड़ों को मोमबत्तियों से रोशन करना शुरू कर दिया। जिसे विद्युतीकरण के आगमन के बाद अक्सर क्रिसमस रोशनी से बदल दिया गया। क्रिसमस ट्री की तुलना कभी कभी ” यूल -ट्री” से की जाती है, खासकर इसकी लोककथाओं की उत्पत्ति की चर्चा में। (चलिए जानते हैं कि SANTA CLAUS का CHRISTMAS DAY से क्या सम्बन्ध है)
SANTA CLAUS कौन थे
यीशु की मौत के लगभग 280 साल के बाद एक संत निकोलस का जन्म हुआ था। संत निकोलस बेहद ही अमीर थे उनको ईसाई धर्म के लोग बहुत मानते थे क्योंकि वह दयालु और उदार व्यक्तित्व के संत माने जाते थे। वह हमेशा गरीबों और असहाय लोगों की सहायता करते रहते थे। मान्यता है कि उन्होंने अपनी सारी संपत्ति को गरीबों की सहायता में लगा दिया। उन्हीं परोपकारी संत निकोलस को आज आधुनिक समय में लोग सेंटा क्लॉस के नाम से जानते हैं और यह भी माना जाता है कि संत निकोलस बच्चों से बेहद प्यार करते थे और वह बच्चों को बहुत सारे उपहार या गिफ्ट देते रहते थे। जिस कारण बच्चों क्रिसमस के दिन नये उपहार और गिफ्ट दिए जाते है।
इसी कारण ही SANTA CLAUS की तुलना यीशु से कि गई और इसका सम्बन्ध CHRISTMAS DAY से जोडा गया।