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Vibhaajan vibheeshika smrti divas : बंटवारे का दर्द आज भी हिंदुस्तान के सीने को छलनी करता है- महाराज

विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस (Vibhaajan vibheeshika smrti divas)

रूड़की (हरिद्वार) भारत के इतिहास में आज का दिन ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस'(Vibhaajan vibheeshika smrti divas) के रूप में मनाया जा रहा है। दरअसल अखंड भारत के आजादी के इतिहास में 14 अगस्त की तारीख आंसुओं से लिखी गई है। यही वह तारीख है जब देश का विभाजन हुआ था।

उक्त बात प्रदेश के कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने सोमवार को रूड़की नगर निगम हॉल में 14 अगस्त 1947 को भारत देश के बँटवारे की त्रासदी के पीड़ितों को श्रृद्धांजलि देने के लिए आयोजित “विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस” कार्यक्रम में बतौर मुख्य वक्ता के रूप में कही।

विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि 15 अगस्त को हम आज़ादी का जश्न मनाते हैं, लेकिन बंटवारे का दर्द आज भी हिंदुस्तान के सीने को छलनी करता है। देश का विभाजन पिछली शताब्दी की सबसे बड़ी त्रासदी है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए 14 अगस्त 2021 को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बहुत ही भावुक निर्णय लेते हुए तय किया कि हर वर्ष 14 अगस्त को “विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस” के रूप में याद किया जाएगा।

Vibhaajan vibheeshika smrti divas

उन्होने कहा कि अखंड भारत के विभाजन की यादें निश्चित ही बहुत भयावह हैं। इन यादों के भुक्तभोगी और प्रत्यक्षदर्शी अब सीमित संख्या में बचे हैं। वर्ष 1947 में अविभाजित भारत की कुल आबादी लगभग 36 करोड़ थी। उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक़, विभाजन के दौरान हुई साम्प्रदायिक हिंसा और अफ़रा-तफ़री में लगभग बीस लाख लोगों की जानें गईं थी। एक से दो करोड़ के बीच लोग विस्थापित हुए थे। हम सभी जानते हैं कि 1947 में देश ने लाखों लोगों के बलिदान के फलस्वरूप स्वाधीनता प्राप्त की थी। लेकिन इसी दौरान देश को दो टुकड़ों में बांटे जाने का जख्म भी हमें झेलना पड़ा था।

श्री महाराज ने कहा कि भारत से कटकर पाकिस्तान नया देश बना और बाद में पाकिस्तान के इसी पूर्वी हिस्से ने 1971 में बांग्लादेश के तौर पर एक नए देश की शक्ल ली। भारत के इस भौगोलिक बंटवारे ने देश के लोगों को सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक व मानसिक रूप से तोड़कर रख दिया था। ऐसे में इस त्रासदी में प्राण गंवाने वाले लोगों को श्रद्धांजलि देकर “विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस” के आयोजन के जरिए हम भेदभाव, वैमनस्य व दुर्भावना को खत्म कर देश में एकता, सामाजिक सद्भाव का वातावरण स्थापित करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकते हैं।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रदेश उपाध्यक्ष शैलेंद्र बिष्ट ने कहा कि जब हमारा देश आजाद हुआ तो इसके साथ ही हमारे देश में विभाजन की घड़ी भी आई थी विभाजन का यह दौर विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक विचारधाराओं के बीच समझौते की कमी को दर्शाता है, हमें यह समझना होगा कि विभाजन सिर्फ हमारी असमंजस में नहीं बल्कि हमारे समाज के विकास में भी बड़ी रोक हो सकती है। विशिष्ट अतिथि राज्य सभा सांसद कल्पना सैनी ने कहा कि विभाजन और विभीषिका के बावजूद हमारे देश ने हमें एकजुट और सशक्त देश के रूप में आगे बढ़ाने की सीख दी है। विधायक प्रदीप बत्रा ने कहा कि बंटवारे के समय लाखों लोगों ने अपना घर छोड़कर मुसीबतों का सामना किया। इस मौके पर कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज विधायक प्रदीप बत्रा, भाजपा जिलाध्यक्ष शोभाराम प्रजापति और जिला पंचायत अध्यक्ष किरण चौधरी ने आजादी के समय के बुजुर्गों सुभाष सरीन, रत्नाकर शर्मा, सुदर्शन मल्होत्रा, संतोष अरोड़ा को शॉल पहनाकर सम्मानित किया। सुभाष सरीन रत्नाकर शर्मा, सुदर्शन मल्होत्रा आदि ने विभाजन के समय की आपबीती भी सुनाई जिसे सुनकर सभी की आंखें भर आई।

कार्यक्रम में जिला महामंत्री अरविंद गौतम, प्रवीण संधू संयोजक आदेश सैनी, सह संयोजक धर्मवीर शर्मा, रत्नाकर शर्मा, कुलभूषण मल्होत्रा, जिला महामंत्री अरविंद गौतम, प्रवीण संधू, जिला उपाध्यक्ष भीम सिंह, सूर्य वीर मलिक, प्रदीप पाल, सावित्री मंगला, राजबाला, सोनू धीमान, जिला मंत्री सतीश सैनी, नितिन गोयल, मीडिया प्रभारी पंकज नंदा, पवन तोमर, नितेश ग्रोवर, सुशील त्यागी, अमन त्यागी, देवी सिंह राणा, विकास प्रजापति, सुशील रावत, पूजा नंदा,पार्षद अनूप राणा,अनुज त्यागी, हरीश शर्मा, चंद्र प्रकाश बाटा,सुशील राठी,मनोज नायक, सुदेश चौधरी,सूंदर लाल प्रजापति, धीरज पाल, सौरभ सिंघल, सुनीता गोस्वामी,एन प्रजापति, ममता राणा ,प्रतिभा चौहान, पारुल भाटिया, सैकड़ों की संख्या में भाजपा कार्यकर्ता और पदाधिकारी उपस्थित रहे

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