नई दिल्ली: मोदी सरकार ने आज देश में ‘एक देश, एक चुनाव’ (वन नेशन वन इलेक्शन) की योजना को मंजूरी दे दी है। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने इसपर रिपोर्ट पेश की, जिसे कैबिनेट ने सर्वसम्मति से स्वीकार किया। हालांकि, इसे लागू करने के लिए संविधान संशोधन और राज्यों की मंजूरी जरूरी होगी।
एक देश-एक चुनाव क्या है?
इस प्रणाली के तहत लोकसभा, विधानसभा, नगर निगम, पंचायत आदि सभी चुनाव एक साथ कराए जाएंगे। इससे समय और संसाधनों की बचत होगी और देश में लगातार होने वाले चुनावों से छुटकारा मिलेगा।
अब आगे क्या?
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव के अनुसार, सरकार अगले कुछ महीनों में सभी दलों के बीच आम सहमति बनाने का प्रयास करेगी। उन्होंने बताया कि 1951 से 1967 तक देश में एक साथ चुनाव होते थे और अब दोबारा इस प्रणाली को अपनाने की कोशिश हो रही है।
शीतकालीन सत्र में हो सकता है बिल पेश
अब यह प्रस्ताव शीतकालीन सत्र में संसद में पेश किया जा सकता है। इसके लिए संविधान में संशोधन की जरूरत होगी और राज्यों की सहमति भी जरूरी होगी।
समर्थन और विरोध
बीजेपी के सहयोगी दल जेडीयू और एलजेपी ने इस कदम का समर्थन किया है। वहीं, विपक्षी दलों ने इसका विरोध किया है।